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"दुःखी मन की तलाश / प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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<poem>'''दुःखी मन की तलाश'''
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दु:खी मन पर होता है इतना बोझ
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दुःखी मन पर होता है इतना बोझ
 
सम्भाले न सम्भले इस धरती से
 
सम्भाले न सम्भले इस धरती से
 
हवा ले  उड़ना चाहे तो
 
हवा ले  उड़ना चाहे तो
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धप्प् से गिर जाए  
 
धप्प् से गिर जाए  
  
दु:खी मन में होती है इतनी पीड़ा
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दुःखी मन में होती है इतनी पीड़ा
 
माँ का दिल भी पछाड़ खा जाए
 
माँ का दिल भी पछाड़ खा जाए
पिता रो पड़ें फफक्कर
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पिता रो पड़ें फफककर
 
बहन छोड़ दे  
 
बहन छोड़ दे  
 
डोली चढ़ने के सपने
 
डोली चढ़ने के सपने
  
दु:खी मन में होती है इतनी निराशा
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दुःखी मन में होती है इतनी निराशा
 
जैसे महाप्रलय के बाद
 
जैसे महाप्रलय के बाद
 
पृथ्वी पर बचे एकमात्र जीव की निराशा
 
पृथ्वी पर बचे एकमात्र जीव की निराशा
  
 
दुःखी मन जंगल में  
 
दुःखी मन जंगल में  
भटकता हुआ मुसाफिर होता है
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भटकता हुआ मुसाफ़िर होता है
 
जिसे घर नहीं  
 
जिसे घर नहीं  
 
नदी या सड़क की तलाश होती है
 
नदी या सड़क की तलाश होती है
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नदी में नहा कर
 
नदी में नहा कर
 
जब उतरता है सड़क पर
 
जब उतरता है सड़क पर
मंजिलें सरकने लगतीं हैं उसकी तरफ
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मंज़िलें सरकने लगतीं हैं उसकी तरफ़
 
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22:42, 13 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

दुःखी मन पर होता है इतना बोझ
सम्भाले न सम्भले इस धरती से
हवा ले उड़ना चाहे तो
फिस्स हो जाए और
आकाश उठाने का कोशिश में
धप्प् से गिर जाए

दुःखी मन में होती है इतनी पीड़ा
माँ का दिल भी पछाड़ खा जाए
पिता रो पड़ें फफककर
बहन छोड़ दे
डोली चढ़ने के सपने

दुःखी मन में होती है इतनी निराशा
जैसे महाप्रलय के बाद
पृथ्वी पर बचे एकमात्र जीव की निराशा

दुःखी मन जंगल में
भटकता हुआ मुसाफ़िर होता है
जिसे घर नहीं
नदी या सड़क की तलाश होती है

दुःखी मन
नदी में नहा कर
जब उतरता है सड़क पर
मंज़िलें सरकने लगतीं हैं उसकी तरफ़ ।