भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भ्रूण हत्या / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 64: पंक्ति 64:
 
चाँद सितारे छूकर घर में दासी जैसी है,
 
चाँद सितारे छूकर घर में दासी जैसी है,
  
वो कबीर कि मछली जल में प्यासी जैसी है
+
वो कबीर की मछली जल में प्यासी जैसी है
  
 
कर सकता है इस सच्चाई से कोई इंकार?
 
कर सकता है इस सच्चाई से कोई इंकार?

12:20, 22 जनवरी 2011 का अवतरण

उनको भी है जीने का अधिकार उन्हें भी जीने दो

देना या मत देना अपना प्यार उन्हें भी जीने दो ‌।


पुत्र रत्न की अभिलाषा का करने कष्ट निवारण

सब प्रसन्न थे जिस दिन माँ ने गर्भ किया था धारण

किन्तु गर्भ में कन्या है जब इसका हुआ प्रसारण

सबकी भौंहे तनी कि कैसे इससे हो निस्तारण

आत्मघात से ज्यादा घातक है ये मनोविकार ।

उन्हें भी जीने दो


उनको भी है जीने का अधिकार उन्हें भी जीने दो

देना या मत देना अपना प्यार उन्हें भी जीने दो ।


नारी की ताकत को नर ने कम करके पहचाना

रचा महाभारत देती वो जब जब उसने ठाना

वो दुर्गा है, वो लक्ष्मी, वो सरस्वती वो सीता

जब सीता का प्यार मिला हर युद्ध राम ने जीता

सीता विमुख हुईं तो खाई लव कुश से भी हार ।

उन्हें भी जीने दो


उनको भी है जीने का अधिकार उन्हें भी जीने दो

देना या मत देना अपना प्यार उन्हें भी जीने दो ।


नर और नारी जीवन की गाड़ी के हैं दो पहिये

ह्रदय सभी का कहता मुंह से कहिये या मत कहिये

भाई बिना बहिन की खुशियाँ होती आधी आधी

राखी बिना कलाई सूनी लगती है अपराधी

बिना बहन के सूना होगा राखी का त्यौहार ।

उन्हें भी जीने दो


उनको भी है जीने का अधिकार उन्हें भी जीने दो

देना या मत देना अपना प्यार उन्हें भी जीने दो ।


त्याग तपस्या में नर पर वो भारी होती है,

सफल पुरुष के पीछे कोई नारी होती है

चाँद सितारे छूकर घर में दासी जैसी है,

वो कबीर की मछली जल में प्यासी जैसी है

कर सकता है इस सच्चाई से कोई इंकार?

उन्हें भी जीने दो


उनको भी है जीने का अधिकार उन्हें भी जीने दो

देना या मत देना अपना प्यार उन्हें भी जीने दो ।

लक्ष्मीबाई भी नारी थी, बात पुरानी याद करो

आजादी को अर्पित कर दी भरी जवानी याद करो

पन्नाबाई भी नारी थी, करुण कहानी याद करो

स्वामिभक्ति में सुत की कैसे दी क़ुरबानी याद करो

गिनो तो अनगिनिती निकलेंगे नारी के उपकार ।

उन्हें भी जीने दो


उनको भी है जीने का अधिकार उन्हें भी जीने दो

देना या मत देना अपना प्यार उन्हें भी जीने दो ।


बिना देवकी, बिना कृपा के जसुमत मैय्या की,

कभी कल्पना कर सकते हो कृष्ण कन्हैय्या की?

बिन राधा के वृन्दावन में श्याम अधूरे हैं,

बिना शक्ति के शिव के सारे काम अधूरे हैं

नारी से ही शोभित होता हर युग में अवतार ।

उन्हें भी जीने दो


उनको भी है जीने का अधिकार उन्हें भी जीने दो

देना या मत देना अपना प्यार उन्हें भी जीने दो ।