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[[Category:कवितायें]]
[[Category:नागार्जुन]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ <poem>>
हज़ार फन फैलाए
 
बैठा है मारकर गुंजलक
 
अंह का शेषनाग
 
लेटा है मोह का नारायण
 
वो देखो नाभि
 
वो देखो संशय का शतदल
 
वो देखो स्वार्थ का चतुरानन
 
चाँप रही चरण-कमल लालसा-लक्ष्मी
 
लहराता है सात समुद्रों का एक समुद्र
 
दूधिया झाग...
 
दूधिया झाग...
'''(1967 में रचित)</Poem>
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