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"कविता की तरफ़ / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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जब तब हाथ से गिर जाता | जब तब हाथ से गिर जाता | ||
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कोई गिलास या चम्मच | कोई गिलास या चम्मच | ||
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घर के लोग देखते थे कविता की तरफ़ बहुत उम्मीद से | घर के लोग देखते थे कविता की तरफ़ बहुत उम्मीद से | ||
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कविता रोटी और ठंडे पानी की एक घूँट कि एवज़ | कविता रोटी और ठंडे पानी की एक घूँट कि एवज़ | ||
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प्रेम और नींद की एवज़ कविता | प्रेम और नींद की एवज़ कविता | ||
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मैं मुस्कराता था | मैं मुस्कराता था | ||
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कहता था कितना अच्छा घर | कहता था कितना अच्छा घर | ||
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हकलाते थे शब्द | हकलाते थे शब्द | ||
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बिम्ब दिमाग़ में तितलियों की तरह मँडराते थे | बिम्ब दिमाग़ में तितलियों की तरह मँडराते थे | ||
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वे सुनते थे एकटक | वे सुनते थे एकटक | ||
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किस तरह मैं छिपा रहा था | किस तरह मैं छिपा रहा था | ||
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कविता की परेशानियाँ । | कविता की परेशानियाँ । | ||
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17:54, 12 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
जगह जगह बिखरी थीं घर की परेशानियाँ
साफ़ दिखती थीं दीवारें
एक चीज़ से छूटती थी किसी दूसरी चीज़ की गंध
कई कोने थे जहाँ कभी कोई नहीं गया था
जब तब हाथ से गिर जाता
कोई गिलास या चम्मच
घर के लोग देखते थे कविता की तरफ़ बहुत उम्मीद से
कविता रोटी और ठंडे पानी की एक घूँट कि एवज़
प्रेम और नींद की एवज़ कविता
मैं मुस्कराता था
कहता था कितना अच्छा घर
हकलाते थे शब्द
बिम्ब दिमाग़ में तितलियों की तरह मँडराते थे
वे सुनते थे एकटक
किस तरह मैं छिपा रहा था
कविता की परेशानियाँ ।
(1993)