Changes

अपने से बाहर / लीलाधर जगूड़ी

1 byte removed, 11:00, 5 फ़रवरी 2011
जब घाटी से देखा तो, सुंदर दिखता था
शिखर
अब शिखर पर हूँ तो ज़्यादा सुन्दर दिखती है घाटी.
अपने से बाहर जहाँ से भी देखो
दूसरा ही सुन्दर दिखता है ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits