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"अपने से बाहर / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर

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जब घाटी से देखा तो, सुंदर दिखता था  
 
जब घाटी से देखा तो, सुंदर दिखता था  
 
शिखर  
 
शिखर  
अब शिखर पर हूँ तो ज़्यादा सुन्दर दिखती है घाटी.
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अब शिखर पर हूँ तो ज़्यादा सुन्दर दिखती है घाटी
 
अपने से बाहर जहाँ से भी देखो
 
अपने से बाहर जहाँ से भी देखो
 
दूसरा ही सुन्दर दिखता है ।
 
दूसरा ही सुन्दर दिखता है ।
 
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16:30, 5 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

जब घाटी से देखा तो, सुंदर दिखता था
शिखर
अब शिखर पर हूँ तो ज़्यादा सुन्दर दिखती है घाटी
अपने से बाहर जहाँ से भी देखो
दूसरा ही सुन्दर दिखता है ।