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"हरे सलवार कुर्ते में / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
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हरे सलवार कुरते में | हरे सलवार कुरते में | ||
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तुम आईं उस दिन | तुम आईं उस दिन | ||
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और मैं पुस्तकालय के | और मैं पुस्तकालय के | ||
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बाहर खड़ा था | बाहर खड़ा था | ||
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तुमने मुझसे मिलने का | तुमने मुझसे मिलने का | ||
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वायदा जो किया था | वायदा जो किया था | ||
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सिर तुम्हारा उस समय | सिर तुम्हारा उस समय | ||
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हरी चुन्नी से ढका था | हरी चुन्नी से ढका था | ||
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तुम आईं मेरे पीछे से | तुम आईं मेरे पीछे से | ||
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और धीमे से पुकारा | और धीमे से पुकारा | ||
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अनि...अनि... | अनि...अनि... | ||
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सुनकर भी जैसे अनसुना | सुनकर भी जैसे अनसुना | ||
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कर दिया मैंने | कर दिया मैंने | ||
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मैं तुम्हारे ध्यान में | मैं तुम्हारे ध्यान में | ||
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मग्न बड़ा था | मग्न बड़ा था | ||
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तुमने मुझे लाड़ में | तुमने मुझे लाड़ में | ||
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हौले से कौंचा | हौले से कौंचा | ||
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मुड़कर जो देखा मैंने तो | मुड़कर जो देखा मैंने तो | ||
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हो गया भौंचक | हो गया भौंचक | ||
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वृक्ष जैसे पीछे कोई | वृक्ष जैसे पीछे कोई | ||
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मोती जड़ा था | मोती जड़ा था | ||
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(1996) | (1996) | ||
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12:27, 8 फ़रवरी 2011 का अवतरण
हरे सलवार कुरते में
तुम आईं उस दिन
और मैं पुस्तकालय के
बाहर खड़ा था
तुमने मुझसे मिलने का
वायदा जो किया था
सिर तुम्हारा उस समय
हरी चुन्नी से ढका था
तुम आईं मेरे पीछे से
और धीमे से पुकारा
अनि...अनि...
सुनकर भी जैसे अनसुना
कर दिया मैंने
मैं तुम्हारे ध्यान में
मग्न बड़ा था
तुमने मुझे लाड़ में
हौले से कौंचा
मुड़कर जो देखा मैंने तो
हो गया भौंचक
वृक्ष जैसे पीछे कोई
मोती जड़ा था
(1996)