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"सौन्दर्य / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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सड़क के दोनों तरफ़ | सड़क के दोनों तरफ़ | ||
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ख़ूब लम्बे पेड़ | ख़ूब लम्बे पेड़ | ||
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ऊपर उठकर मिलते हुए | ऊपर उठकर मिलते हुए | ||
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ललाट से सटाते ललाट | ललाट से सटाते ललाट | ||
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छान रहे सूर्य-किरण | छान रहे सूर्य-किरण | ||
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जैसे ही आएगी आँधी या बारिश | जैसे ही आएगी आँधी या बारिश | ||
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दौड़ेंगे राहगीर | दौड़ेंगे राहगीर | ||
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घंटियाँ धुनते दौड़ेंगे रिक्शे | घंटियाँ धुनते दौड़ेंगे रिक्शे | ||
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दौड़ेगा हाथ में हाथ बाँध सारा परिवार | दौड़ेगा हाथ में हाथ बाँध सारा परिवार | ||
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देखते-देखते सूनी पड़ जाएगी यह राह । | देखते-देखते सूनी पड़ जाएगी यह राह । | ||
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पछाड़ खा रहे हैं अन्धड़ में पेड़ | पछाड़ खा रहे हैं अन्धड़ में पेड़ | ||
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ललाट से ललाट टकराते | ललाट से ललाट टकराते | ||
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मथ रहे हैं बादलों से भरा आकाश | मथ रहे हैं बादलों से भरा आकाश | ||
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गरजता है गगन | गरजता है गगन | ||
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और बिजलियों को देह में सोखने को उद्यत | और बिजलियों को देह में सोखने को उद्यत | ||
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गरजते हैं धरती की ओर से | गरजते हैं धरती की ओर से | ||
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ये वृक्ष | ये वृक्ष | ||
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ठहरेगा कौन इस राह पर आज | ठहरेगा कौन इस राह पर आज | ||
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देखेगा कौन इन संघर्षरत वृक्षों का | देखेगा कौन इन संघर्षरत वृक्षों का | ||
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दुर्द्धर्ष सौन्दर्य ? | दुर्द्धर्ष सौन्दर्य ? | ||
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12:53, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
सड़क के दोनों तरफ़
ख़ूब लम्बे पेड़
ऊपर उठकर मिलते हुए
ललाट से सटाते ललाट
छान रहे सूर्य-किरण
जैसे ही आएगी आँधी या बारिश
दौड़ेंगे राहगीर
घंटियाँ धुनते दौड़ेंगे रिक्शे
दौड़ेगा हाथ में हाथ बाँध सारा परिवार
देखते-देखते सूनी पड़ जाएगी यह राह ।
पछाड़ खा रहे हैं अन्धड़ में पेड़
ललाट से ललाट टकराते
मथ रहे हैं बादलों से भरा आकाश
गरजता है गगन
और बिजलियों को देह में सोखने को उद्यत
गरजते हैं धरती की ओर से
ये वृक्ष
ठहरेगा कौन इस राह पर आज
देखेगा कौन इन संघर्षरत वृक्षों का
दुर्द्धर्ष सौन्दर्य ?