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तोल अपने को तोल,
यह गेसू<ref>बालों की लटें</ref>, यह बिखरे गेसू, नाग हैं, काले नाग
इन तिरछी-तिरछी नज़रों को लाग है, तुझसे लाग
रूप की इस सुंदर नगरी से, भाग रे शाइर भाग
तोल अपने को तोल ।
</poem>
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