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तोल अपने को तोल / जमील मज़हरी
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07:32, 1 मार्च 2011
तोल अपने को तोल,
यह गेसू
<ref>बालों की लटें</ref>
, यह बिखरे गेसू, नाग हैं, काले नाग
इन तिरछी-तिरछी नज़रों को लाग है, तुझसे लाग
रूप की इस सुंदर नगरी से, भाग रे शाइर भाग
तोल अपने को तोल ।
</poem>
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अनिल जनविजय
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