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{{KKRachna
|रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
|संग्रह=जीतू / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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'''प्राण कोकिलकविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें'''(प्रेम भावना का चित्रण ) ऐ मेरे प्राणों की कोकिल
कूको ! कूको! कूको
पुलकित कर दो सारे जग को
इस मधुवन के प्रियपग प्रिय पग-पग को
कंपित स्वर से आज लुभा दो
इस मधुवन के सरस विहाग विहग को
रसमाती पुलकित हो कोकिल
ऐरी ऐ री कुछ तो बोलो
ऐ मेरे अन्तर की कोकिल
बेालोबोलो! बेलोबोलो! बोलो !(प्राण कोकिल कविता का अंश)
</poem>
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