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भरभराकर ढह गया है / गणेश पाण्डेय
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18:06, 10 मार्च 2011
छोड़ना चाहता है मुझे
दुर्दिन की यह कैसी बरसात है
कि चू रहा है जगह -जगह
देह का घर
अनिल जनविजय
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