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− | पेड़ों के झंडे | + | पेड़ों के झंडे |
− | बज रहे वर्षा के मादल | + | बज रहे वर्षा के मादल |
− | आँजती वातायनों की | + | आँजती वातायनों की |
− | चितवनों में सांझ काजल | + | चितवनों में सांझ काजल |
− | और बूँदों की मधुर आहट | + | और बूँदों की मधुर आहट |
− | रिझाने लग गई है | + | रिझाने लग गई है |
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09:21, 28 जून 2014 के समय का अवतरण
फिर नदी की बात सुन कर
चहचहाने लग गई है
यह हरी घाटी हवा से बात कर के
लहलहाने लग गई है
झर रहे
झरने हँसी के
उड़ रहे तूफ़ान में स्वर
रेशमी दुकूल जैसे
बादलों के चीर नभ पर
और धरती रातरानी को
सजाने लग गई है
यह हरी घाटी हवा से बात कर के
महमहाने लग गई है
गाड़ कर
पेड़ों के झंडे
बज रहे वर्षा के मादल
आँजती वातायनों की
चितवनों में सांझ काजल
और बूँदों की मधुर आहट
रिझाने लग गई है
यह हरी घाटी हवा से बात कर के
गुनगुनाने लग गई है