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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : एक देश और मरे हुए लोग<br>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : घर से भागी हुई लड़की<br>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[विमलेश त्रिपाठी]]</td>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[महेश चंद्र पुनेठा]]</td>
 
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<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
एक मरा हुआ आदमी घर में
+
परीक्षा में फ़ेल हो जाने पर
एक सड़क पर
+
या माँ-बाप से लड़कर
एक बेतहाशा॔ भागता किसी चीज़ की तलाश में
+
घर से भाग जाता है लड़का
 +
दुख व्यक्त करते हैं लोग
  
एक मरा हुआ लालकिले से घोषणा करता
+
लड़का कहीं कर लेता है
कि हम आज़ाद हैं
+
दो रोटी का जुगाड़
कुछ मरे हुए लोग तालियाँ पीटते
+
या फिर कुछ दिन घूम-फिरकर
कुछ साथ मिलकर मनाते जश्न
+
लौट आता है अपने घर
  
हद तो तब
+
ख़ुशियों से भर जाता है घर
जब एक मरा हुआ संसद में पहुँचा
+
जैसे लम्बे सूखे के बाद
और एक दूसरे मरे हुए पर एक ने जूते से किया हमला
+
वर्षा की बूँदों का झरना
 +
पतझड़ के बाद बसंत का आ जाना ।
  
एक मरे हुए आदमी ने कई मरे हुए लोगों पर
+
सौतेली माँ के उत्पीड़न से
एक कविता लिखी
+
या
और एक मरे हुए ने उसे पुरस्कार दिया
+
शराबी बाप के आतंक से
+
घर से भाग जाती है लड़की कभी
एक देश है जहाँ मरे हुए लोगों की मरे हुए लोगों पर हुकूमत
+
गाँव भर में शुरू हो जाता है
जहाँ हर रोज़ होती हज़ार से कई गुना अधिक मौतें
+
चर्चाओं का उफ़ान
  
अरे कोई मुझे उस देश से निकालो
+
आँगन हो / गली हो / पनघट हो
कोई तो मुझे मरने से बचा लो</pre>
+
या चाय की दुकान
 +
आ ही जाती है उसके भागने की बात
 +
तरह-तरह की आकाँक्षाएँ
 +
संबंधों की बातें
 +
जितने मुँह उतने अफ़साने
 +
 +
दो-चार दिन में लौट आती है लड़की
 +
घर में बढ़ जाता है तनाव
 +
कहीं कोई ख़ुशी नहीं
 +
मर क्यों नहीं गई
 +
मर ही जाती
 +
क्यों लौट आई यह लड़की । </pre>
 
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10:51, 27 अप्रैल 2011 का अवतरण

Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक : घर से भागी हुई लड़की
  रचनाकार: महेश चंद्र पुनेठा
परीक्षा में फ़ेल हो जाने पर
या माँ-बाप से लड़कर
घर से भाग जाता है लड़का
दुख व्यक्त करते हैं लोग

लड़का कहीं कर लेता है
दो रोटी का जुगाड़
या फिर कुछ दिन घूम-फिरकर
लौट आता है अपने घर

ख़ुशियों से भर जाता है घर
जैसे लम्बे सूखे के बाद
वर्षा की बूँदों का झरना
पतझड़ के बाद बसंत का आ जाना ।

सौतेली माँ के उत्पीड़न से
या
शराबी बाप के आतंक से
घर से भाग जाती है लड़की कभी
गाँव भर में शुरू हो जाता है
चर्चाओं का उफ़ान

आँगन हो / गली हो / पनघट हो
या चाय की दुकान
आ ही जाती है उसके भागने की बात
तरह-तरह की आकाँक्षाएँ
संबंधों की बातें
जितने मुँह उतने अफ़साने
 
दो-चार दिन में लौट आती है लड़की
घर में बढ़ जाता है तनाव
कहीं कोई ख़ुशी नहीं
मर क्यों नहीं गई
मर ही जाती
क्यों लौट आई यह लड़की ।