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{{KKRachna
|रचनाकार=क़तील शिफ़ाई
}}{{KKAnthologyId}}[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>चराग़ दिल के जलाओ कि ईद का दिन हैतराने झूम के गाओ कि ईद का दिन है
चराग़ ग़मों को दिल के जलाओ से भुलाओ कि ईद का दिन है <br>तराने झूम के गाओ ख़ुशी से बज़्म सजाओ कि ईद का दिन है <br><br>
ग़मों को दिल से भुलाओ कि ईद का दिन है <br>हुज़ूर उसकी करो अब सलामती की दुआ ख़ुशी से बज़्म सजाओ सर-ए-नमाज़ झुकाओ कि ईद का दिन है <br><br>
हुज़ूर उसकी करो अब सलामती की दुआ <br>सर-ए-नमाज़ झुकाओ कि ईद का दिन है <br><br> सभी मुराद हो पूरी हर एक सवाली की <br>दुआ को हाथ उठाओ कि ईद का दिन है <br><br/poem>
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