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सदस्य वार्ता:Hemendrakumarrai
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17:08, 17 जनवरी 2008
अंधियारे
मैदन
मैदान
के इन सुनसानों में
बिल्ली की, बाघों की आँखों-सी चमक रहीं
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Hemendrakumarrai