भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चौदहवीं रात के इस चाँद तले/ गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatNazm}}
 
{{KKCatNazm}}
 +
{{KKAnthologyLove}}
 
<poem>
 
<poem>
 
चौदहवीं रात के इस चाँद तले
 
चौदहवीं रात के इस चाँद तले
 
सुरमई रात में साहिल के करीब  
 
सुरमई रात में साहिल के करीब  
दुधिया जोड़े में आ जाये जो तू  
+
दूधिया जोड़े में आ जाये जो तू  
ईसा के हाथ से गिर जाये सलीब  
+
ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब  
 
बुद्ध का ध्यान चटख जाये ,कसम से  
 
बुद्ध का ध्यान चटख जाये ,कसम से  
 
तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी  
 
तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी  
  
दुधिया जोड़े में आ जाये जो तू  
+
दुधिया जोड़े में आ जाए जो तू  
 
चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
 
चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
 
</Poem>
 
</Poem>

12:23, 15 अप्रैल 2011 का अवतरण

चौदहवीं रात के इस चाँद तले
सुरमई रात में साहिल के करीब
दूधिया जोड़े में आ जाये जो तू
ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब
बुद्ध का ध्यान चटख जाये ,कसम से
तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी

दुधिया जोड़े में आ जाए जो तू
चौदहवीं रात के इस चाँद तले !