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[[Category:गज़ल]]
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हम केः ठहरे अजनबी इतनी मदारातों<ref>आवभगत</ref> के बाद
फिर बनेंगे आशना<ref>परिचित</ref> कितनी मुलाक़ातों के बाद
हम केः ठहरे अजनबी इतनी मदारातों कब नज़र में आयेगी बे-दाग़ सब्ज़े की बहार ख़ून के बाद <br>फिर बनेंगे आशना धब्बे धुलेंगे कितनी मुलाक़ातों बरसातों के बाद <br><br>
कब नज़र में आयेगी थे बहुत बे-दाग़ सब्ज़े दर्द लम्हे ख़त्मे-दर्दे-इश्क़<ref>प्रेम की बहार पीड़ा की समाप्ति के क्षण<br/ref>ख़ून के धब्बे धुलेंगे कितनी बरसातों के बाद थीं बहुत बे-मह्‍र<brref>निर्दयी<br/ref>सुब्हें मह्‍रबाँ रातों के बाद
थे बहुत बेदिल तो चाहा पर शिकस्ते-दर्द लम्हे ख़त्मे-दर्दे-इश्क़ के दिल<brref>दिल की हार</ref> ने मोहलत<ref>अवकाश</ref> ही न दी थीं बहुत बेकुछ गिले-मह्र सुब्हें मह्रबाँ रातों के बाद शिकवे भी कर लेते, मुनाजातों<brref>प्रार्थना-गीत<br/ref>के बाद
दिल तो चाहा पर शिकस्ते-दिल ने मोहलत ही न दी उनसे जो कहने गए थे “फ़ैज़” जाँ सदक़ा<brref>प्राण न्यौछावर</ref> किए कुछ गिले-शिकवे भी कर लेते, मुनाजातों अनकही ही रह गई वो बात सब बातों के बाद <br><br/poem>
उनसे जो कहने गए थे “फ़ैज़” जाँ सदक़ा किये <br>अनकही ही रह गई वो बात सब बातों के बाद <br><br>{{KKMeaning}}
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