भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ढाका से वापसी पर / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ }} Category:गज़ल हम केः ठहरे अजनबी इतनी मद...)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
}}
 
}}
 
[[Category:गज़ल]]
 
[[Category:गज़ल]]
 +
<<poem>
 +
हम केः ठहरे अजनबी इतनी मदारातों<ref>आवभगत</ref> के बाद
 +
फिर बनेंगे आशना<ref>परिचित</ref> कितनी मुलाक़ातों के बाद
  
हम केः ठहरे अजनबी इतनी मदारातों के बाद <br>
+
कब नज़र में आयेगी बे-दाग़ सब्ज़े की बहार
फिर बनेंगे आशना कितनी मुलाक़ातों के बाद <br><br>
+
ख़ून के धब्बे धुलेंगे कितनी बरसातों के बाद  
  
कब नज़र में आयेगी बे-दाग़ सब्ज़े की बहार <br>
+
थे बहुत बे-दर्द लम्हे ख़त्मे-दर्दे-इश्क़<ref>प्रेम की पीड़ा की समाप्ति के क्षण</ref> के  
ख़ून के धब्बे धुलेंगे कितनी बरसातों के बाद <br><br>
+
थीं बहुत बे-मह्‍र<ref>निर्दयी</ref> सुब्हें मह्‍रबाँ रातों के बाद
  
थे बहुत बे-दर्द लम्हे ख़त्मे-दर्दे-इश्क़ के <br>
+
दिल तो चाहा पर शिकस्ते-दिल<ref>दिल की हार</ref> ने मोहलत<ref>अवकाश</ref> ही न दी
थीं बहुत बे-मह्र सुब्हें मह्रबाँ रातों के बाद <br><br>
+
कुछ गिले-शिकवे भी कर लेते, मुनाजातों<ref>प्रार्थना-गीत</ref> के बाद
  
दिल तो चाहा पर शिकस्ते-दिल ने मोहलत ही न दी <br>
+
उनसे जो कहने गए थे “फ़ैज़” जाँ सदक़ा<ref>प्राण न्यौछावर</ref> किए
कुछ गिले-शिकवे भी कर लेते, मुनाजातों के बाद <br><br>
+
अनकही ही रह गई वो बात सब बातों के बाद
 +
</poem>
  
उनसे जो कहने गए थे “फ़ैज़” जाँ सदक़ा किये <br>
+
{{KKMeaning}}
अनकही ही रह गई वो बात सब बातों के बाद <br><br>
+

03:18, 13 मार्च 2011 का अवतरण

<

हम केः ठहरे अजनबी इतनी मदारातों<ref>आवभगत</ref> के बाद
फिर बनेंगे आशना<ref>परिचित</ref> कितनी मुलाक़ातों के बाद

कब नज़र में आयेगी बे-दाग़ सब्ज़े की बहार
ख़ून के धब्बे धुलेंगे कितनी बरसातों के बाद

थे बहुत बे-दर्द लम्हे ख़त्मे-दर्दे-इश्क़<ref>प्रेम की पीड़ा की समाप्ति के क्षण</ref> के
थीं बहुत बे-मह्‍र<ref>निर्दयी</ref> सुब्हें मह्‍रबाँ रातों के बाद

दिल तो चाहा पर शिकस्ते-दिल<ref>दिल की हार</ref> ने मोहलत<ref>अवकाश</ref> ही न दी
कुछ गिले-शिकवे भी कर लेते, मुनाजातों<ref>प्रार्थना-गीत</ref> के बाद

उनसे जो कहने गए थे “फ़ैज़” जाँ सदक़ा<ref>प्राण न्यौछावर</ref> किए
अनकही ही रह गई वो बात सब बातों के बाद

शब्दार्थ
<references/>