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"चानन भेल विषम सर रे / विद्यापति" के अवतरणों में अंतर
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− | चानन भेल विषम सर रे, | + | <poem>चानन भेल विषम सर रे, भूषन भेल भारी। |
− | सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल | + | सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल गिरधारी॥ |
− | एकसरि | + | एकसरि थाड़ि कदम-तर रे, पछ हरेधि मुरारी। |
− | हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल | + | हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल सारी॥ |
− | जाह जाह तोहें उधब हे, तोहें मधुपुर जाहे। | + | जाह जाह तोहें उधब हे, तोहें मधुपुर जाहे। |
− | चन्द्र बदनि नहि जीउति रे, बध लागत | + | चन्द्र बदनि नहि जीउति रे, बध लागत काह॥ |
− | कवि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी। | + | कवि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी। |
− | आजु आओत हरि गोकुल रे, पथ चलु | + | आजु आओत हरि गोकुल रे, पथ चलु झटकारी॥</poem> |
12:24, 25 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
चानन भेल विषम सर रे, भूषन भेल भारी।
सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल गिरधारी॥
एकसरि थाड़ि कदम-तर रे, पछ हरेधि मुरारी।
हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल सारी॥
जाह जाह तोहें उधब हे, तोहें मधुपुर जाहे।
चन्द्र बदनि नहि जीउति रे, बध लागत काह॥
कवि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी।
आजु आओत हरि गोकुल रे, पथ चलु झटकारी॥