Changes

|रचनाकार=अनिल जनविजय
}}
 <poem>
अभी महीना गुज़रा है आधा
 
शेष और हैं पंद्रह दिन
 
समय यह सरके कच्छप-गति से
 
नंदिनी तेरे बिन
 
जीवन खाली है, मन खाली
 
स्मृति की जकड़न
 
नीली पड़ गई देह विरह से
 
घेर रही ठिठुरन
 
मर जाएगा कवि यह तेरा
 
बिखर जाएगा फूल
 
अरी, नंदिनी, जब आएगी तू
 
बस, शेष बचेगी धूल
 
(रचनाकाल : 2004)
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,279
edits