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"इक शख्स था / मख़दूम मोहिउद्दीन" के अवतरणों में अंतर

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इक शख्स था ज़माना था के दीवाना बना
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इक शख़्स था ज़माना था के दीवाना बना
इक अफसाना था अफसाने से अफसाना बना
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इक अफ़साना था अफ़साने से अफ़साना बना
  
 
इक परी चेहरा  के जिस चेहरे से आइना बना
 
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दिल के आइना दर आइना परीखाना बना
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कीमि-ए-शब् में निकल आता है गाहे गाहे
 
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है चरागाँ ही चरागाँ सरे अरिज सरेजाम
 
है चरागाँ ही चरागाँ सरे अरिज सरेजाम
रंग सद जलवा जाना न सनमखाना बना
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रंग सद जलवा जाना न सनमख़ाना बना
  
 
एक झोंका तेरे पहलू का महकती हुई याद
 
एक झोंका तेरे पहलू का महकती हुई याद
एक लम्हा तेरी दिलदारी का क्या क्या न बना
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एक लम्हा तेरी दिलदारी का क्या-क्या न बना
 
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20:59, 28 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

इक शख़्स था ज़माना था के दीवाना बना
इक अफ़साना था अफ़साने से अफ़साना बना

इक परी चेहरा के जिस चेहरे से आइना बना
दिल के आइना दर आइना परीख़ाना बना

कीमि-ए-शब् में निकल आता है गाहे गाहे
एक आहू कभी अपना कभी बेगाना बना

है चरागाँ ही चरागाँ सरे अरिज सरेजाम
रंग सद जलवा जाना न सनमख़ाना बना

एक झोंका तेरे पहलू का महकती हुई याद
एक लम्हा तेरी दिलदारी का क्या-क्या न बना