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"प्रतिनिधि / गोपालशरण सिंह" के अवतरणों में अंतर

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देव !तुम्हारे पास ।
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दिन दुखी जन का प्रतिनिधि बन,
 
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आया था यह दास ।
 
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लाया था उपहार रूप में,
 
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केवल दुःख निःश्वास ।
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पर आशा भी रही चित्त में  
 
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और रहा विश्वास ।
 
और रहा विश्वास ।

21:34, 4 मई 2011 का अवतरण

देव ! तुम्हारे पास ।
दिन दुखी जन का प्रतिनिधि बन,
आया था यह दास ।

लाया था उपहार रूप में,
केवल दुख निःश्वास ।
पर आशा भी रही चित्त में
और रहा विश्वास ।

किन्तु तुम्हारी दशा देखकर,
मन हो गया हताश ।
जग की व्यथा-कथा सुनने का
तुम्हें नहीं अवकाश ।

('ज्योतिष्मती' काव्य-संग्रह से)