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मशीनों ने बनाए सामान | मशीनों ने बनाए सामान | ||
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और सामान | और सामान | ||
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आदमी बनाने लगे | आदमी बनाने लगे | ||
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-कुछ कृत्रिम आदमी | -कुछ कृत्रिम आदमी | ||
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कुछ हल्के आदमी | कुछ हल्के आदमी | ||
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कवियों ने इन आदमियों पर | कवियों ने इन आदमियों पर | ||
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लिखीं कविताएँ | लिखीं कविताएँ | ||
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कलाकारों ने कलाकृतियाँ बनाईं | कलाकारों ने कलाकृतियाँ बनाईं | ||
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दार्शनिकों ने सिद्धान्त-निरूपण किए | दार्शनिकों ने सिद्धान्त-निरूपण किए | ||
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असल आदमी कहाँ रह गया | असल आदमी कहाँ रह गया | ||
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जिसमें स्वाभाविकता थी | जिसमें स्वाभाविकता थी | ||
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जो बिना दिखावे के | जो बिना दिखावे के | ||
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देने का धर्म निभाता था | देने का धर्म निभाता था | ||
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जैसे कि सूरज, वृक्ष और नदियाँ | जैसे कि सूरज, वृक्ष और नदियाँ | ||
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जिसकी आत्मा | जिसकी आत्मा | ||
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विश्वप्रकृति के साथ थी एकाकार... | विश्वप्रकृति के साथ थी एकाकार... | ||
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कहाँ रह गया? | कहाँ रह गया? | ||
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हम सबको | हम सबको | ||
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सभ्यता की इस महानतम खोज में | सभ्यता की इस महानतम खोज में | ||
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जुट जाना चाहिए | जुट जाना चाहिए | ||
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-बिना दिखावे के | -बिना दिखावे के | ||
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लेकिन इस अभियान में वही जुटे | लेकिन इस अभियान में वही जुटे | ||
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जो दोनों तरह के आदमियों के बीच | जो दोनों तरह के आदमियों के बीच | ||
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भले ही वह | भले ही वह | ||
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कवि-कलाकार-दार्शनिक न हो | कवि-कलाकार-दार्शनिक न हो | ||
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वह चाहे कुछ | वह चाहे कुछ | ||
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बनावटी और हल्का ही हो | बनावटी और हल्का ही हो | ||
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लेकिन मौलिकता और आडम्बर के बीच | लेकिन मौलिकता और आडम्बर के बीच | ||
− | + | बख़ूबी भेद कर सके! | |
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21:45, 19 मई 2011 के समय का अवतरण
रवीन्द्रनाथ को पढ़ते हुए...
उन्होंने बनाई मशीनें
मशीनों ने बनाए सामान
और सामान
आदमी बनाने लगे
-कुछ कृत्रिम आदमी
कुछ हल्के आदमी
कवियों ने इन आदमियों पर
लिखीं कविताएँ
कलाकारों ने कलाकृतियाँ बनाईं
दार्शनिकों ने सिद्धान्त-निरूपण किए
असल आदमी कहाँ रह गया
जिसमें स्वाभाविकता थी
जिसमें कुछ वज़न था
जो बिना दिखावे के
देने का धर्म निभाता था
जैसे कि सूरज, वृक्ष और नदियाँ
जिसकी आत्मा
विश्वप्रकृति के साथ थी एकाकार...
कहाँ रह गया?
हम सबको
सभ्यता की इस महानतम खोज में
जुट जाना चाहिए
-बिना दिखावे के
लेकिन इस अभियान में वही जुटे
जो दोनों तरह के आदमियों के बीच
फ़र्क कर सके,
भले ही वह
कवि-कलाकार-दार्शनिक न हो
वह चाहे कुछ
बनावटी और हल्का ही हो
लेकिन मौलिकता और आडम्बर के बीच
बख़ूबी भेद कर सके!