भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खुले नहीं दरवाज़े / नचिकेता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=नचिकेता | |रचनाकार=नचिकेता | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatNavgeet}} | |
− | + | <poem> | |
− | + | ||
खुले नहीं दरवाज़े | खुले नहीं दरवाज़े | ||
− | |||
बाहर कब तक | बाहर कब तक | ||
− | |||
शांत रहूँ | शांत रहूँ | ||
− | |||
घर के अंदर | घर के अंदर | ||
− | |||
तनिक नहीं हलचल है | तनिक नहीं हलचल है | ||
− | |||
आहट है | आहट है | ||
− | |||
धड़कन है | धड़कन है | ||
− | |||
साँसें हैं | साँसें हैं | ||
− | |||
साँसों की गरमाहट है | साँसों की गरमाहट है | ||
− | + | होठों की ख़ामोशी का क्यों | |
− | होठों की | + | तीख़ा दंश सहूँ |
− | + | ||
− | + | ||
घर के बाहर धूल | घर के बाहर धूल | ||
− | |||
धुआँ, बदबू, सन्नाटा है | धुआँ, बदबू, सन्नाटा है | ||
− | |||
कसक रहा तलवे में चुभकर | कसक रहा तलवे में चुभकर | ||
− | |||
टूटा काँटा है | टूटा काँटा है | ||
− | |||
किस ज़बान से | किस ज़बान से | ||
− | |||
इन दुर्घटनाओं की व्यथा | इन दुर्घटनाओं की व्यथा | ||
− | |||
कहूँ | कहूँ | ||
− | |||
नीम-निबौरी झरी | नीम-निबौरी झरी | ||
− | |||
गीत कोयल का मौन हुआ | गीत कोयल का मौन हुआ | ||
− | |||
क्रुद्ध ततैये जैसा डंक | क्रुद्ध ततैये जैसा डंक | ||
− | |||
मारती है पछुआ | मारती है पछुआ | ||
− | |||
ज़हरीली है नदी | ज़हरीली है नदी | ||
− | |||
धार में | धार में | ||
− | |||
कितना दूर बहूँ | कितना दूर बहूँ | ||
+ | </poem> |
17:37, 24 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
खुले नहीं दरवाज़े
बाहर कब तक
शांत रहूँ
घर के अंदर
तनिक नहीं हलचल है
आहट है
धड़कन है
साँसें हैं
साँसों की गरमाहट है
होठों की ख़ामोशी का क्यों
तीख़ा दंश सहूँ
घर के बाहर धूल
धुआँ, बदबू, सन्नाटा है
कसक रहा तलवे में चुभकर
टूटा काँटा है
किस ज़बान से
इन दुर्घटनाओं की व्यथा
कहूँ
नीम-निबौरी झरी
गीत कोयल का मौन हुआ
क्रुद्ध ततैये जैसा डंक
मारती है पछुआ
ज़हरीली है नदी
धार में
कितना दूर बहूँ