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"निक्का पैसा / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
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08:50, 7 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
निक्का पैसा कहाँ चला,
कहाँ चला जी, कहाँ चला ।
पहले रहा हथेली पर
फिर जा गुड़ की भेली पर
चिपक गया चिपकू बनकर
यहाँ चला न वहाँ चला ।
धूप लगी, गुड़ पिघल गया
निक्का पैसा निकल गया
कहाँ चलूँ की झंझट में
गिरा सेठ की गुल्लक में
यहाँ चला न वहाँ चला ।
किसी तरह मौक़ा पाकर
गुल्लक से निकला बाहर,
खुली सड़क थी इधर-उधर
लुढ़क चला सर-सर, सर-सर।
यहाँ चला फिर वहाँ चला
मौज उड़ाई, जहाँ चला ।