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आकाश का साफ़ा बाँधकर | आकाश का साफ़ा बाँधकर | ||
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सूरज की चिलम खींचता | सूरज की चिलम खींचता | ||
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बैठा है पहाड़, | बैठा है पहाड़, | ||
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घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी, | घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी, | ||
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पास ही दहक रही है | पास ही दहक रही है | ||
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पलाश के जंगल की अँगीठी | पलाश के जंगल की अँगीठी | ||
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अंधकार दूर पूर्व में | अंधकार दूर पूर्व में | ||
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सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा। | सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा। | ||
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अचानक- बोला मोर। | अचानक- बोला मोर। | ||
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जैसे किसी ने आवाज़ दी- | जैसे किसी ने आवाज़ दी- | ||
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'सुनते हो'। | 'सुनते हो'। | ||
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चिलम औंधी | चिलम औंधी | ||
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धुआँ उठा- | धुआँ उठा- | ||
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सूरज डूबा | सूरज डूबा | ||
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अंधेरा छा गया। | अंधेरा छा गया। |
11:32, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अंधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा।
अचानक- बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
'सुनते हो'।
चिलम औंधी
धुआँ उठा-
सूरज डूबा
अंधेरा छा गया।