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<poem>
किसी का किसीका प्यार समझें, दिल्लगी समझें, अदा समझेंबता दे तू दे ही अब, ऐ जिन्दगीज़िन्दगी! हम तुझको क्या समझें
नहीं हटाता हटता है पला पल भर लाज का परदा उन आँखों से
इशारों में ही दिल की बात हम कैसे भला समझें!
हम अपने को भी उनकी धड़कनों में देख लेते हैं
उन्हीं के उन्हींके हम हैं, वे हमको भले ही दूसरा समझें
दिया जो आपने आकर कभी दिल में जलाया था
गुलाब ऐसे तो हर तितली से आँखें चार करते हैं
जो दिल की पंखडी पंखड़ी छू ले उसीको दिलरुबा समझें
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