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"चुप तो किसी भी बात पर रहते नहीं हैं हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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पल भर कहीं भी चैन से रहते नहीं हैं हम
 
पल भर कहीं भी चैन से रहते नहीं हैं हम
  
किश्ती भँवर में छोड़ दें, डाँडों को तोड़ दें  
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किश्ती भँवर में छोड़ दें, डाँड़ों को तोड़ दें  
 
तेवर, ऐ ज़िन्दगी तेरे सहते नहीं हैं हम   
 
तेवर, ऐ ज़िन्दगी तेरे सहते नहीं हैं हम   
  

01:23, 25 जून 2011 का अवतरण


चुप तो किसी भी बात पर रहते नहीं हैं हम
ऐसा ही कुछ है पर जिसे कहते नहीं हैं हम

छूटे हैं जब से आपकी पलकों की छाँह से
पल भर कहीं भी चैन से रहते नहीं हैं हम

किश्ती भँवर में छोड़ दें, डाँड़ों को तोड़ दें
तेवर, ऐ ज़िन्दगी तेरे सहते नहीं हैं हम

लोगों ने बात बात में हमको दिया उछाल
शायर तो अपने आप को कहते नहीं हैं हम

एक शोख की नज़र ने खिलाये हैं ये गुलाब
यों ही हवा की तान पे बहते नहीं हैं हम