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ख़यालों में उनके समाये हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
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20:21, 8 जुलाई 2011
जिन्हें देखकर था नशा चढ़ गया
वही कह रहे,
'
पीके आये हैं हम
'
मसलती है पाँवों से दुनिया गुलाब
मगर अब हवाओं में छाये हैं हम
<poem>
Vibhajhalani
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