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सपना / गोरख पाण्डेय

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{{KKRachna
|रचनाकार=गोरख पाण्डेय
|संग्रह=स्वर्ग से बिदाई भोजपुरी के नौ गीत / गोरख पाण्डेय
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सूतन रहलीं सपन एक देखलीं
 
सपन मनभावन हो सखिया,
 
फूटलि किरनिया पुरुब असमनवा
 
उजर घर आँगन हो सखिया,
 
अँखिया के नीरवा भइल खेत सोनवा
 
त खेत भइलें आपन हो सखिया,
 
गोसयाँ के लठिया मुरइआ अस तूरलीं
 
भगवलीं महाजन हो सखिया,
 
केहू नाहीं ऊँचा नीच केहू के न भय
 
नाहीं केहू बा भयावन हो सखिय,
 
मेहनति माटी चारों ओर चमकवली
 
ढहल इनरासन हो सखिया,
 
बैरी पैसवा के रजवा मेटवलीं
 
मिलल मोर साजन हो सखिया ।
 
(रचनाकाल : 1979)
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