भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अब कहाँ चाँद-सितारे हैं नज़र के आगे! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
अब कहाँ चाँद-सितारे हैं नज़र के आगे! | अब कहाँ चाँद-सितारे हैं नज़र के आगे! | ||
बस उस तरफ के किनारे हैं नज़र के आगे | बस उस तरफ के किनारे हैं नज़र के आगे | ||
− | |||
कोई कुछ भी ही कहे हमने तो यही देखा है | कोई कुछ भी ही कहे हमने तो यही देखा है | ||
ख़्वाब ही ख़्वाब ये सारे हैं नज़र के आगे | ख़्वाब ही ख़्वाब ये सारे हैं नज़र के आगे | ||
− | |||
तू भले ही है छिपा ताजमहल में अपने | तू भले ही है छिपा ताजमहल में अपने | ||
तेरे पापोश तो, प्यारे! हैं नज़र के आगे | तेरे पापोश तो, प्यारे! हैं नज़र के आगे | ||
− | |||
कौन कहता है तुझे प्यार नहीं है हमसे! | कौन कहता है तुझे प्यार नहीं है हमसे! | ||
क्यों ये रह-रहके इशारे हैं नज़र के आगे! | क्यों ये रह-रहके इशारे हैं नज़र के आगे! | ||
− | |||
कभी खुशबू से ये दिल उनका भी छू लेंगे | कभी खुशबू से ये दिल उनका भी छू लेंगे | ||
रंग तूने जो पसारे हैं नज़र के आगे | रंग तूने जो पसारे हैं नज़र के आगे | ||
<poem> | <poem> |
21:40, 29 जून 2011 का अवतरण
अब कहाँ चाँद-सितारे हैं नज़र के आगे!
बस उस तरफ के किनारे हैं नज़र के आगे
कोई कुछ भी ही कहे हमने तो यही देखा है
ख़्वाब ही ख़्वाब ये सारे हैं नज़र के आगे
तू भले ही है छिपा ताजमहल में अपने
तेरे पापोश तो, प्यारे! हैं नज़र के आगे
कौन कहता है तुझे प्यार नहीं है हमसे!
क्यों ये रह-रहके इशारे हैं नज़र के आगे!
कभी खुशबू से ये दिल उनका भी छू लेंगे
रंग तूने जो पसारे हैं नज़र के आगे