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यह सितारों से भरी रात हमारी कब थी! / गुलाब खंडेलवाल
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20:46, 11 अगस्त 2011
आपके प्यार की सौग़ात हमारी कब थी!
कोई
छींटा
छीँटा
कभी उड़ता हुआ आया भी तो क्या
!
झमझमाती हुई बरसात हमारी कब थी!
था वही बाग़, वही फूल, वही तुम थे
,
मगर
फिर बहारों से मुलाक़ात हमारी कब थी!
Vibhajhalani
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