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सारी दुनिया पे कहर ढा देना / गुलाब खंडेलवाल
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18:45, 4 जुलाई 2011
ख़ूब था तेरा मुस्कुरा देना
सैंकडों
सैकड़ों
छेद हैं इसमें मालिक!
अब ये प्याला ही दूसरा देना
दिल से मुश्किल था पर भुला देना
आख़िरी
वक्त
वक़्त
देख तो लें गुलाब
रुख़ से परदा ज़रा हटा देना
<poem>
Vibhajhalani
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