Changes

ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई
मुड़ के मुड़के देखा न हाशिया तुमने!
हमने माना कि मिल न पाये गुलाब
दिल तो ख़ुशबू से भर दिया तुमने
<poem>
2,913
edits