{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= मासूम शायर}}[[Category:गज़ल]]<poem>ना अधिकार की बात करो<br />ना दीवार की बात करो<br />दूर से करो मुझ से<br />पर प्यार की बात करो<br />
हम एक दूसरे की वजह वज़ह से हैं<br />कोई किसी का सर्माया नही है<br />सच तो ये है भगवान ने भी हमे<br />हमारा रिश्ता बताया नही है<br />
मैं नदी हूं <br />हूँ तुम किनारे का नाम हो<br />मैं तुम्हारे कारण हूं<br />हूँतुम मेरा परिणाम हो<br />
ना मैं किसी से शिकायत कर सकती हूं<br />हूँना तुम कभी विद्रोह कर सकते हो<br />ना मैं प्यार में जान दे सकती हूँ<br />ना तुम इश्क़ में कभी मर सकते हो<br />
अगर तुम ने मेरी लहरों पर हक हक़ जमाया<br />अगर तुम्हारा एक कदम क़दम भी मेरे नज़दीक आया<br />रिश्ता बदल जाएगा<br />तुम किनारा नही रहोगे<br />मेरा सहारा घुल जाएगा<br />
और अगर मैं तुम तक आने लगी<br />तुम्हारी फैली बाहों बाँहों में समाने लगी<br />तो तुम से दूर बह जाऊंगी<br />जाऊँगीमैं मेरी अपनी सीमाओं में फिर नही आऊँगी<br />
धरा जल में होगी<br />जल धरती पर बह जाएगा<br />मिलन के बाद दूर दूर तक<br />एक विनाश रह जाएगा<br />
मिलन की आस छोड़ो <br />हर एक प्यास छोड़ो<br />मुझे सपनो में रक्खो<br />
मेरी तलाश छोड़ो<br />
मुझे तुम बस देख सकते हो<br />मैं जानती हूं मुझे दिल में रखते हो<br />पर मेरा मिलन सागर के भाग्य में है<br />सागर में मुझे समाना है<br />उस मलन तक मेरे किनारे मेरे दोस्त<br />तुम्हे कदम कदम साथ आना है<br />जो तुम मेरे हो<br />ईश्वर को भी कभी वो नही माना है<br />तुम्हे कदम कदम मेरे साथ आना है जाना है<br />
सागर को जो दूँगी मेरा शरीर है <br />जो नश्वर है<br />जो तुम्हे दे जाऊंगी मैं<br />मेरी धड़कनो का स्वर है<br />
उस स्वर को ज़िंदा रखना<br />मैं रही नही वहाँ <br />पर ये किनारा घर है मेरा<br />इस घर को ज़िंदा रखना<br />इस घर को ज़िंदा रखना<br />
ना अधिकार की बात करो <br />ना दीवार की बात करो<br />दूर से करो मुझ से<br />पर प्यार की बात करो<br /poem>