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"अमर बेल / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर

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समर्पण की उसकी
 
समर्पण की उसकी
 
अपनी अदा है
 
अपनी अदा है
लिपटता है इअस अदा से
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लिपटता है इस अदा से
 
जिस पेड़ पर भी
 
जिस पेड़ पर भी
 
उसे जड़ से सुखा जाता है
 
उसे जड़ से सुखा जाता है

10:18, 12 अगस्त 2011 का अवतरण

समर्पण की उसकी
अपनी अदा है
लिपटता है इस अदा से
जिस पेड़ पर भी
उसे जड़ से सुखा जाता है
खुद को लेकिन
अमर बेल -सा
हरत हाल में हरा रखता है।