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"अपनापा.. / हरीश बी० शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=हरीश बी० शर्मा
 
|संग्रह=फिर मै फिर से फिर कर आता
 
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<Poem>
 
मैं
 
हाथ तेरा हाथ में ले
 
पवन बांधू साथ
 
चलूँ सागर सात,
 
सातो भौम
 
अपनापा रचूँ।
 
  
मैं रचूँ एक-एक अणु में आस्था
 
भाव भर दूँ
 
सूत्र-से साकार दूँ।
 
 
कुछ पैहरन बेकार
 
वो उतार दूँ
 
हो वही मौलिक 
 
कि जितना रच रहा
 
आवरण सारे वृथा उघाड़ दूँ।
 
</poem>
 

16:58, 29 अगस्त 2011 का अवतरण