Changes

चाँदनी / राधेश्याम बन्धु

8 bytes added, 04:15, 28 अक्टूबर 2011
<Poem>
यातना यह
औपिछवाड़े औ’ पिछवाड़े बेला संग बतियाती चांदनीचाँदनी
रिश्तों की उलझन को
सुलझाती चांदनीचाँदनी
चाहो तो बाँहों को
एकाकी जीना क्या
समझती चांदनीसमझाती चाँदनी
यादों के जूड़े में
मौलश्री टांक टाँक दो
मिलनों के गजरे में
सपनो को बांध बाँध लो
महुआ तन छेड़-छाड़
इठलाती चांदनी चाँदनी
यादों की निशिगंधा
रात -रात जागती
मिलनों की एक रात
पूनम से मांगती माँगती
गंधों की पाती नित
लिखवाती चांदनीचाँदनी
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,687
edits