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"चिंगारी कोई भड़के / आनंद बख़्शी" के अवतरणों में अंतर

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चिंगारी कोई भड़के,  तो सावन उसे बुझाये
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चिंगारी कोई भड़के,  तो सावन उसे बुझाए
सावन जो अगन लगाये,  उसे कौन बुझाये,
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सावन जो अगन लगाए,  उसे कौन बुझाए
ओ... उसे कौन बुझाये
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ओ... उसे कौन बुझाए
  
पतझड़ जो बाग उजाड़े,  वो बाग बहार खिलाये
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पतझड़ जो बाग उजाड़े,  वो बाग बहार खिलाए
जो बाग बहार में उजड़े,  उसे कौन खिलाये
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जो बाग बहार में उजड़े,  उसे कौन खिलाए
ओ... उसे कौन खिलाये
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ओ... उसे कौन खिलाए
  
हमसे मत पूछो कैसे,  मंदिर टूटा सपनों का
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हमसे मत पूछो कैसे,  मन्दिर टूटा सपनों का
हमसे मत पूछो कैसे,  मंदिर टूटा सपनों का
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हमसे मत पूछो कैसे,  ्मन्दिर टूटा सपनों का
लोगों की बात नहीं है,  ये किस्सा है अपनों का
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लोगों की बात नहीं है,  ये क़िस्सा है अपनों का
कोई दुश्मन ठेस लगाये,  तो मीत जिया बहलाये
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कोई दुश्मन ठेस लगाए,  तो मीत जिया बहलाए
मन मीत जो घाव लगाये,  उसे कौन मिटाये
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मन मीत जो घाव लगाए,  उसे कौन मिटाए
  
 
न जाने क्या हो जाता,  जाने हम क्या कर जाते
 
न जाने क्या हो जाता,  जाने हम क्या कर जाते
 
न जाने क्या हो जाता,  जाने हम क्या कर जाते
 
न जाने क्या हो जाता,  जाने हम क्या कर जाते
 
पीते हैं तो ज़िन्दा हैं,  न पीते तो मर जाते
 
पीते हैं तो ज़िन्दा हैं,  न पीते तो मर जाते
दुनिया जो प्यासा रखे,  तो मदिरा प्यास बुझाये
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दुनिया जो प्यासा रखे,  तो मदिरा प्यास बुझाए
मदिरा जो प्यास लगाये,  उसे कौन बुझाये
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मदिरा जो प्यास लगाये,  उसे कौन बुझाए
ओ... उसे कौन बुझाये
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ओ... उसे कौन बुझाए
  
 
माना तूफ़ाँ के आगे,  नहीं चलता ज़ोर किसीका
 
माना तूफ़ाँ के आगे,  नहीं चलता ज़ोर किसीका
 
माना तूफ़ाँ के आगे,  नहीं चलता ज़ोर किसीका
 
माना तूफ़ाँ के आगे,  नहीं चलता ज़ोर किसीका
 
मौजों का दोष नहीं है,  ये दोष है और किसी का
 
मौजों का दोष नहीं है,  ये दोष है और किसी का
मजधार में नैया डोले,  तो माझी पार लगाये
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मझधार में नैया डोले,  तो माझी पार लगाए
माझी जो नाव डुबोये,  उसे कौन बचाये
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माझी जो नाव डुबोये,  उसे कौन बचाए
ओ... उसे कौन बचाये
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ओ... उसे कौन बचाए
  
 
चिंगारी ...
 
चिंगारी ...
 
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07:16, 12 अक्टूबर 2024 के समय का अवतरण

 
चिंगारी कोई भड़के, तो सावन उसे बुझाए
सावन जो अगन लगाए, उसे कौन बुझाए
ओ... उसे कौन बुझाए

पतझड़ जो बाग उजाड़े, वो बाग बहार खिलाए
जो बाग बहार में उजड़े, उसे कौन खिलाए
ओ... उसे कौन खिलाए

हमसे मत पूछो कैसे, मन्दिर टूटा सपनों का
हमसे मत पूछो कैसे, ्मन्दिर टूटा सपनों का
लोगों की बात नहीं है, ये क़िस्सा है अपनों का
कोई दुश्मन ठेस लगाए, तो मीत जिया बहलाए
मन मीत जो घाव लगाए, उसे कौन मिटाए

न जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
न जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
पीते हैं तो ज़िन्दा हैं, न पीते तो मर जाते
दुनिया जो प्यासा रखे, तो मदिरा प्यास बुझाए
मदिरा जो प्यास लगाये, उसे कौन बुझाए
ओ... उसे कौन बुझाए

माना तूफ़ाँ के आगे, नहीं चलता ज़ोर किसीका
माना तूफ़ाँ के आगे, नहीं चलता ज़ोर किसीका
मौजों का दोष नहीं है, ये दोष है और किसी का
मझधार में नैया डोले, तो माझी पार लगाए
माझी जो नाव डुबोये, उसे कौन बचाए
ओ... उसे कौन बचाए

चिंगारी ...