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"चार तिनके उठा के / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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मुट्ठी भर आरजुओं का गारा<br /> | मुट्ठी भर आरजुओं का गारा<br /> |
03:45, 13 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
चार तिनके उठा के जंगल से
एक बाली अनाज की लेकर
चंद कतरे बिलखते अश्कों के
चंद फांके बुझे हुए लब पर
मुट्ठी भर अपने कब्र की मिटटी
मुट्ठी भर आरजुओं का गारा
एक तामीर की लिए हसरत
तेरा खानाबदोश बेचारा
शहर में दर-ब-दर भटकता है
तेरा कांधा मिले तो टेकूं!