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कलाकार का स्वर्ग / जगन्नाथप्रसाद 'मिलिंद'
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05:32, 22 दिसम्बर 2011
अर्पण-मद में वारे अपना, मुग्ध हृदय, अंतिम आधार;
:त्याग-तृप्ति का वह असीम सुख अविचल सह लेने देना,
:
उस सौंदर्य-स्वर्ग में मुझ को क्षण भर रह लेने देना।
</poem>
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