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भाई महावीर जी,
 
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यह रचना पंडित विनोद शर्मा की है, जिसे जगजीत सिंह ने स्वर दिया है। पूरी कविता इस प्रकार है।
 
यह रचना पंडित विनोद शर्मा की है, जिसे जगजीत सिंह ने स्वर दिया है। पूरी कविता इस प्रकार है।
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बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
 
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साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
 
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सादर
 
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अनिल जनविजय
 
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pria mitron,
 
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03:03, 22 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

भाई महावीर जी,
यह रचना पंडित विनोद शर्मा की है, जिसे जगजीत सिंह ने स्वर दिया है। पूरी कविता इस प्रकार है।

बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ

एक नीली झील-सा फैला अचल
आज यह आकाश है कितना सजल
चाँद जैसे रूप का उभरा कमल
रात भर इस रूप का जादू जगाओ
प्राण तुम क्यों......

चल रहा है चैत का चंचल पवन
बाँध लो बिखरे हुए कुन्तल सघन
आँज लो कजरा उदासे हैं नयन
माँग भर लो भाल पर बिंदिया सजाओ
प्राण तुम क्यों...
सादर
अनिल जनविजय

pria mitron,

"pran tum kyao maun ho, Kuch gungunao" Is kavita ke kavi aur uske sangrah/ pustak ke sandarbh me jankari chahiye

Mai is blog me naya hun, aur is bare me adhik jankari nahi rakhta. Mujhe Bahut pahle padhi ek kavita ki kuch panktiya hi yad aa rahi hai, Kripaya kisi ke pas iski vistrit jankari ho to mere e-mail address- amitpandey_rgh@yahoo.com me bhejne ki kripa karen.

Kavit ki pankti jo mujhe yad hai "pran tum kyao maun ho, Kuch gungunao"

Amit Pandey

priy Kavita Rasik,

Mere Grand pa ko nimnokt 2 kavitayen kavita kosh mein chahiye ! 1. Subhadra kumari chauhan rachit " Rani Padmini ka jauhar " 2. Kavita jiske kuchh shabd hain " Badalta rahata hai samay, uskee sabhee ghatey nayee, aaj kam aatee nahi, kal kee bate kayee.

yadi koi mitra inhen yahan preshit kar den to mein, mere dadu avam unke ek internet mitra,( jinhone ukt kavitayen Dadu se mangee hai ) sabhee hrday se aabharee honge !

= AApkee KITTU

HAPPY NEW YEAR POEM-2012

NEW YEAR POEM-2012

नववर्ष हो मंगलमय, सुख शांति हो जन जनमय,

नहीं अंधियारी रातें हों, ना बैर भाव की बातें हों,

ना भेदभाव अब और बढे, हर कदम सत्य की और चढ़े,

ना उजड़े कोई फुल चमन से, ना उखड़े कोई कोख अमन से,

रहे विश्व में सुख और शांति, ना झेले युद क्रोध की क्रान्ति,

क्यों मजहब के नाम पे रूठे, क्यों मंदिर और मस्जिद टूटे,

टूटे क्यों गिरिजा गुरुद्वारा, मानवता हो धर्म हमारा,

धरती पर छाए हरियाली, सब के चेहरे पर हो खुशहाली,

कदम बढे प्रगति पथ पर, देश हो अपना विजयी रथ पर,

खुशहाल रहे अमन अपना, सच हो हमारा ये सपना,

नववर्ष २०१२ की आप सभी दोस्तों भाइयो बहनों और बुजुर्ग अभिभावकों को महावीर जोशी की हार्दिक शुभकामनाएँ .. रचना ..महावीर जोशी पूलासर (सरदारशहर)