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"बनकर बंजारे / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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जलती भट्ठी
 
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मोड़ें वैसा  
 
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धरे निहाई
 
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नए-नए-
 
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अपनी फूटी
 
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राहगीर मिल
 
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हम हैं फिर भी
 
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रहते हंसते
 
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अभी तुम्हारा
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अभी आपका
 
समय सहारा
 
समय सहारा
 
जो सुन लेते
 
जो सुन लेते
हम बुरी-भली
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बुरी-भली
 
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13:09, 19 मार्च 2012 के समय का अवतरण

हम बंजारे
मारे-मारे
फिरते-रहते
गली-गली

जलती भट्ठी
तपता लोहा
नए रंग ने
है मन मोहा
चाहें जैसा
मोड़ें वैसा
धरे निहाई
अली-बली

नए-नए-
औज़ार बनाएँ
नाविक के
पतवार बनाएँ
रही कठौती
अपनी फूटी
खा भी लेते
भुनी-जली

राहगीर मिल
ताने कसते
हम हैं फिर भी
रहते हंसते
अभी आपका
समय सहारा
जो सुन लेते
बुरी-भली