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"चुप बैठा धुनिया / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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सोच रहा
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भीड़-भाड़ वह
चुप बैठा धुनिया
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चहल-पहल वह
 
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भीड़-भाड़ वह-
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चहल-पहल वह-
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बंद द्वार का  
 
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एक महल वह  
 
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सन्नाटा  
 
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अंधियारों ने  
 
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सब कुछ पता  
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सब कुछ पाटा  
  
 
कहाँ -कहाँ से  
 
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टूटी पुनिया  
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टूटी पुनिया
 
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21:29, 18 मार्च 2012 का अवतरण

भीड़-भाड़ वह
चहल-पहल वह
बंद द्वार का
एक महल वह

ढोल मढ़ी-सी
लगती दुनिया

मेहनत के मुंह
बंधा मुसीका
घुटता जाता
गला खुशी का

ताड़ रहा है
सब कुछ गुनिया

फैला भीतर तक
सन्नाटा
अंधियारों ने
सब कुछ पाटा

कहाँ -कहाँ से
टूटी पुनिया