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"तुम / सुदर्शन प्रियदर्शिनी" के अवतरणों में अंतर
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इच्छित तू | इच्छित तू | ||
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दे देता | दे देता | ||
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तो तेरा | तो तेरा | ||
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क्या होता ..? | क्या होता ..? | ||
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− | + | तेरे वजूद | |
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पर हम ने | पर हम ने | ||
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आज तक | आज तक | ||
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नही लगाये | नही लगाये | ||
− | + | कोई प्रश्न -चिन्ह...! | |
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इस तानाशाही | इस तानाशाही | ||
− | + | मे - बहुत | |
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हो गया | हो गया | ||
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तुम्हारा -अन्याय | तुम्हारा -अन्याय | ||
+ | अब और नहीं .... | ||
− | + | आज सीमा | |
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पर तुम | पर तुम | ||
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होंगे या मै- एक | होंगे या मै- एक | ||
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म्यान - दो | म्यान - दो | ||
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तलवार नहीं .... | तलवार नहीं .... | ||
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मैं भी | मैं भी | ||
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तेरा ही | तेरा ही | ||
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अंश हूँ - | अंश हूँ - | ||
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हे - पर- आत्म | हे - पर- आत्म | ||
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तुम से | तुम से | ||
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कम हठी नहीं ..... | कम हठी नहीं ..... | ||
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नीचे उतर | नीचे उतर | ||
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और - मेरी जगह | और - मेरी जगह | ||
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बैठ | बैठ | ||
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मेरी लहुलुहान | मेरी लहुलुहान | ||
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बिवाइयों मैं देख .. | बिवाइयों मैं देख .. | ||
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कितने ब्रहामंड | कितने ब्रहामंड | ||
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हताहत हैं ....! | हताहत हैं ....! | ||
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12:21, 25 मार्च 2012 के समय का अवतरण
सब को
सब का
इच्छित तू
दे देता
तो तेरा
क्या होता ..?
तेरे वजूद
पर हम ने
आज तक
नही लगाये
कोई प्रश्न -चिन्ह...!
इस तानाशाही
मे - बहुत
हो गया
तुम्हारा -अन्याय
अब और नहीं ....
आज सीमा
पर तुम
होंगे या मै- एक
म्यान - दो
तलवार नहीं ....
मैं भी
तेरा ही
अंश हूँ -
हे - पर- आत्म
तुम से
कम हठी नहीं .....
नीचे उतर
और - मेरी जगह
बैठ
मेरी लहुलुहान
बिवाइयों मैं देख ..
कितने ब्रहामंड
हताहत हैं ....!