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"इच्छाएँ / कंस्तांतिन कवाफ़ी" के अवतरणों में अंतर
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किसी शानदार मक़बरे में उदासी के बीच क़ैद | किसी शानदार मक़बरे में उदासी के बीच क़ैद |
14:39, 2 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
जैसे कि—
बे-वक़्त मर गए लोगों के ख़ूबसूरत जिस्म,
किसी शानदार मक़बरे में उदासी के बीच क़ैद
सिरहाने गुलाब और पायँताने चँबेली के फूल,
वैसे ही हैं वे इच्छाएँ, जो पूरी हुए बिना बीत गईं,
जिनमें से किसी को भी
चाहत-भरी एक रात तक मयस्सर न हुई,
या उसके बाद की ख़ुशनुमा सुबह ही कोई ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल