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"बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं / सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं। | बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं। | ||
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तब ये लता लगति अति सीतल¸ अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं। | तब ये लता लगति अति सीतल¸ अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं। | ||
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बृथा बहति जमुना¸ खग बोलत¸ बृथा कमल फूलैं अलि गुंजैं। | बृथा बहति जमुना¸ खग बोलत¸ बृथा कमल फूलैं अलि गुंजैं। | ||
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पवन¸ पानी¸ धनसार¸ संजीवनि दधिसुत किरनभानु भई भुंजैं। | पवन¸ पानी¸ धनसार¸ संजीवनि दधिसुत किरनभानु भई भुंजैं। | ||
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ये ऊधो कहियो माधव सों¸ बिरह करद करि मारत लुंजैं। | ये ऊधो कहियो माधव सों¸ बिरह करद करि मारत लुंजैं। | ||
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सूरदास प्रभु को मग जोवत¸ अंखियां भई बरन ज्यौं गुजैं। | सूरदास प्रभु को मग जोवत¸ अंखियां भई बरन ज्यौं गुजैं। | ||
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16:04, 23 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं।
तब ये लता लगति अति सीतल¸ अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं।
बृथा बहति जमुना¸ खग बोलत¸ बृथा कमल फूलैं अलि गुंजैं।
पवन¸ पानी¸ धनसार¸ संजीवनि दधिसुत किरनभानु भई भुंजैं।
ये ऊधो कहियो माधव सों¸ बिरह करद करि मारत लुंजैं।
सूरदास प्रभु को मग जोवत¸ अंखियां भई बरन ज्यौं गुजैं।