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19:07, 14 जुलाई 2012 का अवतरण
रह़गुजर
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रचनाकार | अकील नोमानी |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 2011 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 144 |
ISBN | |
विविध |
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- महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है / अकील नोमानी
- हर शाम सँवरने का मज़ा अपनी जगह है / अकील नोमानी
- जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे / अकील नोमानी
- एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती / अकील नोमानी
- / अकील नोमानी
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