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"तेरा मेरा मनुवां / कबीर" के अवतरणों में अंतर
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तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे । | तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे । | ||
− | मै कहता हौं आँखन देखी ,तू कहता कागद की लेखी । | + | मै कहता हौं आँखन देखी, तू कहता कागद की लेखी । |
− | मै कहता सुरझावन हारी ,तू राख्यो अरुझाई रे ॥ | + | मै कहता सुरझावन हारी, तू राख्यो अरुझाई रे ॥ |
− | मै कहता तू जागत रहियो ,तू जाता है सोई रे । | + | मै कहता तू जागत रहियो, तू जाता है सोई रे । |
− | मै कहता निरमोही रहियो , तू जाता है मोहि रे ॥ | + | मै कहता निरमोही रहियो, तू जाता है मोहि रे ॥ |
− | जुगन-जुगन समझावत हारा,कहा न मानत कोई रे । | + | जुगन-जुगन समझावत हारा, कहा न मानत कोई रे । |
− | तू तो रंगी फिरै बिहंगी , सब धन डारा खोई रे ॥ | + | तू तो रंगी फिरै बिहंगी, सब धन डारा खोई रे ॥ |
सतगुरू धारा निर्मल बाहै, बामे काया धोई रे । | सतगुरू धारा निर्मल बाहै, बामे काया धोई रे । | ||
− | कहत कबीर सुनो भाई साधो ,तब ही वैसा होई रे ॥ | + | कहत कबीर सुनो भाई साधो, तब ही वैसा होई रे ॥ |
22:51, 5 अक्टूबर 2007 का अवतरण
तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे ।
मै कहता हौं आँखन देखी, तू कहता कागद की लेखी ।
मै कहता सुरझावन हारी, तू राख्यो अरुझाई रे ॥
मै कहता तू जागत रहियो, तू जाता है सोई रे ।
मै कहता निरमोही रहियो, तू जाता है मोहि रे ॥
जुगन-जुगन समझावत हारा, कहा न मानत कोई रे ।
तू तो रंगी फिरै बिहंगी, सब धन डारा खोई रे ॥
सतगुरू धारा निर्मल बाहै, बामे काया धोई रे ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, तब ही वैसा होई रे ॥