गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पहाड़ / लाल्टू
3 bytes removed
,
19:34, 7 अक्टूबर 2007
पहाड़ को कठोर मत समझो<br>
पहाड़ को नोचने पर<br>
पहाड़ के
अाँसू
आँसू
बह
अाते
आते
हैं<br>
सड़कें करवट बदल<br>
चलते-चलते रुक जाती हैं<br><br>
बढ़ती-घटती रहती हैं<br><br>
अकेले पहाड़ का
जमाना
ज़माना
<br>
बीत गया<br>
अब हर ओर<br>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,226
edits