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+ | * [[आज बधाई को दिन नीको / परमानंददास]] | ||
+ | * [[रक्षा बंधन को दिन आयो / परमानंददास]] | ||
+ | * [[राखी बांधत जसोदा मैया / परमानंददास]] | ||
+ | * [[जागो मेरे लाल जगत उजियारे / परमानंददास]] | ||
+ | * [[गोपी प्रेम की ध्वजा / परमानंददास]] | ||
+ | * [[तिहारे चरन कमल को माहत्म्य / परमानंददास]] | ||
+ | * [[डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ / परमानंददास]] | ||
+ | * [[श्री यमुने सुखकारनी प्राण प्रतिके / परमानंददास]] | ||
+ | * [[श्री यमुने पिय को बस तुमजु कीने / परमानंददास]] | ||
+ | * [[श्री यमुने के साथ अब फ़िरत है नाथ / परमानंददास]] | ||
+ | * [[श्री यमुने की आस अब करत है दास / परमानंददास]] | ||
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09:10, 16 मई 2014 का अवतरण
परमानंददास
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जन्म | 1493 |
---|---|
निधन | 1583 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
परमानंद सागर | |
विविध | |
रीतिकाल के कवि | |
जीवन परिचय | |
परमानंददास / परिचय |
प्रतिनिधि रचनाएँ
- बृंदावन क्यों न भए हम मोर / परमानंददास
- कौन रसिक है इन बातन कौ / परमानंददास
- ब्रज के बिरही लोग बिचारे / परमानंददास
- मैया मोहिं ऐसी दुलहिन भावै / परमानंददास
- कहा करौ बैकुंठहि जाय / परमानंददास
- राधे जू हारावलि टूटी / परमानंददास
- लाल कछु कीजे भोजन तिल तिल कारी हों वारी हों / परमानंददास
- पतंग की गुडी उडावन लागे व्रजबाल / परमानंददास
- यह मांगो गोपीजन वल्लभ / परमानंददास
- आज दधि मीठो मदन गोपाल / परमानंददास
- माई मीठे हरि जू के बोलना / परमानंददास
- मंगल माधो नाम उचार / परमानंददास
- यह प्रसाद हों पाऊं श्री यमुना जी / परमानंददास
- श्री जमुना जी दीन जानि मोहिं दीजे / परमानंददास
- नन्द बधाई दीजे हो ग्वालन / परमानंददास
- चैत्र मास संवत्सर / परमानंददास
- लाल कछु कीजे भोजन तिल तिल कारी हों वारी हों / परमानंददास
- प्रथम गोचारण चले कन्हाई / परमानंददास
- कापर ढोटा नयन नचावत / परमानंददास
- आज दधि कंचन मोल भई / परमानंददास
- रंचक चाखन देरी दह्यो / परमानंददास
- यह धन धर्म ही तें पायो / परमानंददास
- पद्म धर्यो जन ताप निवारण / परमानंददास
- आज बधाई को दिन नीको / परमानंददास
- रक्षा बंधन को दिन आयो / परमानंददास
- राखी बांधत जसोदा मैया / परमानंददास
- जागो मेरे लाल जगत उजियारे / परमानंददास
- गोपी प्रेम की ध्वजा / परमानंददास
- तिहारे चरन कमल को माहत्म्य / परमानंददास
- डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ / परमानंददास
- श्री यमुने सुखकारनी प्राण प्रतिके / परमानंददास
- श्री यमुने पिय को बस तुमजु कीने / परमानंददास
- श्री यमुने के साथ अब फ़िरत है नाथ / परमानंददास
- श्री यमुने की आस अब करत है दास / परमानंददास
- आज ललन की होत सगाई / परमानंददास
- कुंज भवन में मंगलचार / परमानंददास
- गावत गोपी मधु मृदु बानी / परमानंददास
- यह मांगो गोपीजन वल्लभ / परमानंददास
भक्तिकालीन रचनाकार | ||
ज्ञानाश्रयी शाखा | कबीर • रैदास • मलूकदास • दादू दयाल • गुरु नानकदेव • सुंदरदास • धनी धरमदास | |
प्रेमाश्रयी शाखा | कुतबन • मंझन • मलिक मोहम्मद जायसी • उसमान • शेख नबी • कासिमशाह • नूर मुहम्मद | |
रामाश्रयी शाखा | तुलसीदास • अग्रदास • प्राणचंद चौहान • हृदयराम | |
कृष्णाश्रयी शाखा | वल्लभाचार्य • अष्टछाप ( सूरदास • कुम्भनदास • परमानंददास • कृष्णदास • छीतस्वामी • गोविन्दस्वामी • चतुर्भुजदास • नंददास ) • हितहरिवंश • गदाधर भट्ट • मीराबाई • हरिदास • सूरदास मदनमोहन • श्रीभट्ट • हरिराम व्यास • रसखान • ध्रुवदास |
|
अन्य कवि | छीहल • लालचदास • कृपाराम • नरहरि बंदीजन • नरोत्तमदास • आलम • टोडरमल • बीरबल • गँग • मनोहर कवि • बलभद्र मिश्र • जमाल • केशवदास • होलराय • रहीम • कादिर • मुबारक • बनारसीदास • सेनापति • पुहकर कवि • सुँदर • लाल कवि | |
अष्टछाप | ||
महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवि, जिन्होंने अपने विभिन्न पदों एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। और अधिक जानें... | ||
अष्टछाप के कवि: सूरदास । नंददास । परमानंददास । कुम्भनदास । चतुर्भुजदास । छीतस्वामी । गोविन्दस्वामी |