भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गणेश बिहारी 'तर्ज़'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
<sort order="asc" class="ul"> | <sort order="asc" class="ul"> | ||
* [[दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | * [[दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
− | * [[ / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | + | * [[अश्क बहने दे यूँ ही / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] |
+ | * [[इश्क़ की मार बड़ी दर्दीली, इश्क़ में जी न फँसाना जी / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[इक ज़माना था कि जब था कच्चे धागों का भरम / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[एक नज़र क्या इधर हो गई / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[चमकी कहीं जो बर्क तो एहसास बन गई / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[जाने जाने की बात करते हो / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[बेनियाज़-ए-सहर हो गई / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[मुझे दे के मय मेरे साक़िया मेरी तिश्नगी को हवा न दे / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[रह गए आँसू, नैन बिछाए / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[सपने मिलन के मिल के तो काफ़ूर हो गए / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
+ | * [[है बात वक़्त वक़्त की चलने की शर्त है / गणेश बिहारी 'तर्ज़']] | ||
</sort> | </sort> |
21:39, 23 फ़रवरी 2013 का अवतरण
गणेश बिहारी 'तर्ज़'
जन्म | 18 मई, 1928 |
---|---|
जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत । |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हिना बन गई ग़ज़ल | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
गणेश बिहारी 'तर्ज़' / परिचय |
ग़ज़ल-संग्रह
कविताएँ <sort order="asc" class="ul">
- दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- अश्क बहने दे यूँ ही / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- इश्क़ की मार बड़ी दर्दीली, इश्क़ में जी न फँसाना जी / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- इक ज़माना था कि जब था कच्चे धागों का भरम / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- एक नज़र क्या इधर हो गई / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- चमकी कहीं जो बर्क तो एहसास बन गई / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- जाने जाने की बात करते हो / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- बेनियाज़-ए-सहर हो गई / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- मुझे दे के मय मेरे साक़िया मेरी तिश्नगी को हवा न दे / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- रह गए आँसू, नैन बिछाए / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- सपने मिलन के मिल के तो काफ़ूर हो गए / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
- है बात वक़्त वक़्त की चलने की शर्त है / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
</sort>